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HONOUR KILLING… खाप उसके हाथों को चूमेगी

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Honour killing आजकल कोई नई बात नहीं रही… रोज ही दसियों खबरें हमारी आँखों के सामने आती हैं कि आज एक भाई/ पिता/चाचा/ताऊ ने अपने परिवार की इज्जत कि खातिर अपने परिवार की इज्जत का खून कर कर दिया…. ये सब खबरें एक जागरूक इंसान के दिलों दिमाग को झकझोर कर रख देती हैं…. आखिर ये इज्जत के लिए हत्या है या इज्जत की हत्या…. दिमाग जितना सोचता है, उतना ही उलझता जाता है….

कौन है इन सब के लिए जिम्मेदार? क्या नई पीढ़ी, जो घर की मर्यादा को ताक पर रखकर प्यार करने का गुनाह करती है या पुरानी पीढ़ी, जो अपनी संस्कारों से नई पीढ़ी को रूबरू नहीं करवा पा रहे है? अगर गहराई में सोचा जाये तो दोनों पीढ़ी ही अपनी -अपनी जगह बराबर की गुनाहगार है…

पुरानी पीढ़ी अपना बडप्पन तो जाताना जानती है पर अपने कर्तव्यों को सही तरह से निभाने में कही ना कहीं असफल हो रहे हैं… क्यों नहीं आप बचपन से ही बच्चों को अपने संस्कारों से रूबरू कराते? क्यों नहीं आप उन्हें बताते कि उनके के लिए क्या अच्छा है क्या बुरा? रिश्तों के सही मायने क्यों बच्चे भूलते जा रहे हैं…. आपके पास ही वक़्त नहीं है उन्हें ये समझाने का कि गोत्र क्या होता है या एक भाई-बहन का रिश्ता क्या होता है, तो उन्हें दोष देना कहाँ तक उचित होगा… प्यार करना कोई गुनाह नहीं है… अगर सिर्फ जाति का फर्क है तो आप पहले बच्चे के साथी से मिल तो लें, क्या पता वो आपके उम्मीदों पर खरा उतरे…

नई पीढ़ी भी कम जिम्मेदार नहीं है…. माना कि प्यार करना बुरी बात नहीं है, पर ये तो समझो कि हम किस से प्यार कर सकते हैं किस से नहीं… प्यार का सही मतलब समझो, सिर्फ शारीरिक आकर्षण प्यार नहीं होता…. और पहले इस लायक तो बन जाओ कि कल को जब अपने प्यार के परिवार वालों से मिलो तो तुम्हारी काबिलियत के आगे सब नत-मस्तक हो जाएँ… और आपके प्यार को ठुकराने की किसी में हिम्मत ना हो… अगर पढाई की उम्र में इन सब चक्करों में पड़ोगे तो पढाई तो जाएगी ही और कोई भी आपके प्यार को कुबूल नहीं करेगा…. सभी चीज़ का एक सही समय होता है…

और अगर परिवार वाले आपके प्यार को स्वीकार नहीं रहे तो उन्हें पहले प्यार से समझाएं, ये घर से भागकर अपनी जान को जोखिम में डालना कहाँ की बहादुरी है…. कोई भी गलत कदम उठाने से पहले सौ बार सोचिये… अभी नहीं मान रहे है तो ठीक है, आप भी मन में निश्चय कर लीजिये कि आप उनको मनवा कर ही रहेंगे और अपनी कोशिश जारी रखिये, अगर आपका प्यार सच्चा होगा तो कोशिश जरुर रंग लाएगी… अपने परिवार की सहमती से अपने प्यार को पाने में जो मजा है वो कहीं नहीं है…..

कुछ दिनों पहले ही मैंने honour killing पर 

पवन करण जी

की ये कविता पढ़ी थी, बहुत ही भावपूर्ण रचना है… आप भी पढ़िए ….

मेरे भाई की नाक एवरेस्ट से ऊंची

चांद से भी अधिक चमकीली

किसी से प्यार करूंगी तो कट जाएगी

अपनी कटी हुई नाक के साथ

मेरा भाई कैसे जिएगा

वह तो मर जाएगा जीते जी


उसकी आंख दूरबीन से तेज

निशाना गुलेल सा सटीक

मैं घने झुरमुट में भी किसी से मिलूंगी

वह देख लेगा, वह वहीं से

खींचकर मारेगा पत्थर

जो ठीक माथे पर लगेगा मेरे

उसके लगते ही

मेरे भाई का माथा हो जाएगा ऊंचा


कोई हाथ, हाथ में लेकर चलूंगी

ग़ुस्से में उसके हाथ मेरी

और उसकी गर्दन मरोड़ देंगे

फेंक देंगे किसी नाले में जाकर

कई दिन तक वह अपने

हाथ नहीं धोएगा, दिखाएगा सबूत

खाप उसके हाथों को चूमेगी

जहां तक घूम सकता वह

घूमेगा छाती फुलाकर अपनी


कलदार सा खनकदार भाई का नाम

मगर वह कब तक काम आएगा मेरे

प्रेम तो फिर भी रहेगा साथ

प्रेम के बिना मैं कैसे जिऊंगी

प्रेम करूंगी तो जाऊंगी मारी


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